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दन्त रोग

आज हम दन्त रोग पर बात करते है ग्रहों के आधार पर हम कुंडली से दन्त रोग या एनी किसी रोग के विषय में जान सकते है इस ज्योतिष विधा को हम मेडिकल एस्ट्रोलॉजी के अंतर्गत रखते है जैसा की मेडिकल लाइन के लोगो को पता होगा की दांतों की तीन परत होती है १-दन्त वल्क २ दन्त धातु इनका नेत्रतत्व सूर्य करता है दन्त वल्क ठोस है और दन्त धातु हड्डी नुमा है और तीसरी परत में रक्त शिराए आती है जिनमे रक्त संचारित होता है इस लिए इनका संचालन मंगल और चन्द्र करते है सूर्य चन्द्र मंगल अगर कही राहू और शनि से पीड़ित हो जाये तो दन्त रोग होना निशचित है २ दूसरा भाव मुख का होता है जिस से दांतों की सुदरता का अनुमान लगाया जाता है यदि दुसरे भाव पर शनि राहू आदि ग्रहों का प्रभाव आजाये तो दांतों नुक्स होना स्वाभाविक होता है यदि केतु दुसरे भाव में आये तो दन्त उच्चे ही जाते है
पुराने समय में हमारे बैध जो चिकित्सा का कार्य करते थे वे साथ में पंडित होते थे और चिकित्सा का कार्य भी करते थे और मेडिकल और ज्योतिष का समावेश कर के ही अपना कार्य यानि इलाज शुरू करते थे जिस कारन ओषधि जल्द ही आराम देती थी मेरा कहने का तात्पर्य है की यदि ग्रहों और चिकित्सा पध्धति को साथ मिलाया जाय यानि ज्योतिष और मेडिकल दोनों का सहारा लिया जाय तो बीमार व्यक्ति जल्दी ही ठीक हो सकता है एसा मेरा अनुभव है एक बार नहीं कई बार का
पंडित ध्यान चन्द्र कुश ज्योतिषआचार्य
१५ फ उपरी मंजिल पालिका बाजार
अंसारी रोड -मुज़फ्फर नगर -उत्तर प्रदेश
सम्पर्क -९३१९४००७२१

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