आज बात करते है व्र्स्चिक लग्न में रत्न धारण करने की
आज बात करते है व्र्स्चिक लग्न में रत्न धारण करने की
सर्व प्रथम बात करते है
माणिक्य की -----इस लग्न में सूर्य दशम भाव का स्वामी होता है अत राज्य किरपा मान सामान व्यसाय नोकरी की उन्नति के लिए आप माणिक्य क्र सकते है
माणिक्य की -----इस लग्न में सूर्य दशम भाव का स्वामी होता है अत राज्य किरपा मान सामान व्यसाय नोकरी की उन्नति के लिए आप माणिक्य क्र सकते है
मोती -----भाग्य भाव का स्वामी चन्द्र होता है धर्म कर्म भाग्य में उन्नति के लिए आप मोती धारण करे
मूंगा -------इस लग्न में मंगल लग्नेश और ६ते भाव का स्वामी है मूंगा दह्रंकारना लाभ प्रद होता है आपका जीवन रत्न है लग्नेश को कोई दोष नहीं लगता है
पन्ना ------इस लग्न में बुध अष्टम और एकादश का स्वामी है और बुध लग्नेश का मित्र भी नहीं है पन्ना से बचे कुछ स्तिथि में आप पन्ना पहन सकते है
पुखराज ------इस लग्न में गुरु दुसरे व् पंचम का स्वामी होता है इस लग्न मर शुभ ग्रह माना गया है लग्नेश और गुरु आपस में मित्र भी है पुखराज धरंकराने में कोई दिक्कत नहीं है
हीरा --------शुक्र इस लग्न में १२वे भाव व् सप्तम का स्वामी होता है और लग्नेश मंगलके साथ इस की कोई मित्रता भी नहीं है अत आप कोहीरा धारण नहीं करना चाहिए
नीलम -----इस लग्न के लिए शनि ३रे व् ४वे भाव का स्वामी है इस लग्न के लिए शनि सुभ ग्रह नहीं है हा कुछ एसी स्तिथि है जिन में नीलम धारण कर सकते है जो आप हम से मिलकर सुनिश्चित कर सकते है
किसी भी रत्न को धारण से प्रथम आप अपने अस्त्रोलोगेर से मिल कर सुनिचित अवश्य करे
हम से मिलाने के लिए नीचे लिखे एड्रेस पर सम्पर्क करे
हम से मिलाने के लिए नीचे लिखे एड्रेस पर सम्पर्क करे
अधिक जानकारी के लिए आप हम से सम्पर्क कर सकते है परन्तु समय निश्चित करे
पंडित ध्यान चन्द्र कुश ज्योतिषाचार्य
कुश ज्योतिष अनुसन्धान संस्थान
१५ फ उपरी मंजिल -पालिका बाजार
मुज़फ्फर नगर [उत्तर प्रदेश ]
सम्पर्क ---भ्रमण धवनी -----९३१९४००७२१
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