मेष लग्न में रत्न धारण
मेष लग्न में रत्न धारण करने का एक नजरिया
सबसे पहले बात करते है माणिक्य की मेष लग्न में सूर्य पंचम त्रिकोण का स्वामी है और आप कोपता हैकि मंगल और सूर्य मित्र है अत इस लग्न वालो को माणिक्य धारण करना चाहिए बल बुध्हि के लिए संतान सुख व् राज्य क्रपा प्रप्ति के लिए माणिक्य धारण किया जा सकता है
मोती -चतुर्थ भाव का स्वामी चंद्रमा होता है चन्द्र लग्नेश का मित्र है मुंगे के साथ मोती धारण किया जा सकता है मानसिक शांति व् मकान भूमि लाभ आदि के लिए माता के स्वास्थ्य लाभ के लिए धारण किया जा सकता है
मूंगा -----लग्नेश का स्वामी मंगल आप मूंगा पूरी जीवन भर धारण कर सकते है आयु स्वास्थ्य के लिए उन्न्न्ती यश मान प्राप्ति के लिए
पन्ना -------मेष लग्न के लिए बुध दो अनिष्ट भावो का स्वामी है पन्ना धारण नहीं किया जा सकता है
पुखराज ---मेष लग्न के लिए गुरु नवं भाव व् १२ भाव का स्वामी है भाग्य का स्वामी के गुरु इस लग्न के लिए शुभ माना गया है पुखराज धारण करने से बुध्ही बल की प्राप्ति भाग्य की उन्नति शिक्षा की उन्नति के लिए पुखराज धारण करे
शुक्र ----मेष लग्न में शुक्र दुसरे भाव व् ७वे भाव का मालिक है और शुक्र और मंगल प्रबल शत्रु है यदि शुक्र किन्ही विशेष परिस्तिथि में हो तो अलग बात है लेकिन हीरा धारण नहीं किया जा सकता है
नीलम -----शनि दशम एकादश का मालिक है दोनों शुभ भाव है लेकिन एकादश के स्वामी के कारन शनि को शुभ ग्रह नहीं माना जाता है कुछ प्रिस्तियो को छोड़कर नीलम धारण करना वर्जित है
शेष जानकारी के लिए आप हम से सम्पर्क कर सकते है
pandit -d c kush astrologer
9319400721
सबसे पहले बात करते है माणिक्य की मेष लग्न में सूर्य पंचम त्रिकोण का स्वामी है और आप कोपता हैकि मंगल और सूर्य मित्र है अत इस लग्न वालो को माणिक्य धारण करना चाहिए बल बुध्हि के लिए संतान सुख व् राज्य क्रपा प्रप्ति के लिए माणिक्य धारण किया जा सकता है
मोती -चतुर्थ भाव का स्वामी चंद्रमा होता है चन्द्र लग्नेश का मित्र है मुंगे के साथ मोती धारण किया जा सकता है मानसिक शांति व् मकान भूमि लाभ आदि के लिए माता के स्वास्थ्य लाभ के लिए धारण किया जा सकता है
मूंगा -----लग्नेश का स्वामी मंगल आप मूंगा पूरी जीवन भर धारण कर सकते है आयु स्वास्थ्य के लिए उन्न्न्ती यश मान प्राप्ति के लिए
पन्ना -------मेष लग्न के लिए बुध दो अनिष्ट भावो का स्वामी है पन्ना धारण नहीं किया जा सकता है
पुखराज ---मेष लग्न के लिए गुरु नवं भाव व् १२ भाव का स्वामी है भाग्य का स्वामी के गुरु इस लग्न के लिए शुभ माना गया है पुखराज धारण करने से बुध्ही बल की प्राप्ति भाग्य की उन्नति शिक्षा की उन्नति के लिए पुखराज धारण करे
शुक्र ----मेष लग्न में शुक्र दुसरे भाव व् ७वे भाव का मालिक है और शुक्र और मंगल प्रबल शत्रु है यदि शुक्र किन्ही विशेष परिस्तिथि में हो तो अलग बात है लेकिन हीरा धारण नहीं किया जा सकता है
नीलम -----शनि दशम एकादश का मालिक है दोनों शुभ भाव है लेकिन एकादश के स्वामी के कारन शनि को शुभ ग्रह नहीं माना जाता है कुछ प्रिस्तियो को छोड़कर नीलम धारण करना वर्जित है
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